एमपी के शिक्षा विभाग में दोहरी व्यवस्था, दो पाटों के बीच पिस रहे शिक्षक

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग में दो व्यवस्था कायम है- पहली व्यवस्था कक्षा 1 से 8 के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र, जो स्कूल संपूर्ण अकादमिक एवं परीक्षा के साथ भवन, मध्याहन भोजन, छात्रवृत्ति, गणवेश, पुस्तक वितरण, निरीक्षण सभी कार्यों को अपने मार्गदर्शन में करता है।

दूसरी व्यवस्था कक्षा 9 से 12 की परीक्षा माध्यमिक शिक्षा मंडल आयोजित करता है। प्रतिवर्ष माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा में प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों को बड़ी संख्या में लगाया जा कर इन शालाओं का शिक्षण कार्य लगभग एक माह अवरुद्ध कर दिया जाता है।

भारतीय बाल आयोग इस संबंध में संज्ञान लेकर कहा है कि प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों की ड्यूटी माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा से मुक्त रखकर हाईस्कूल एवं हायर सेकण्डरी शाला के शिक्षकों को शाला बदलकर परीक्षा कराएं। इस प्रक्रिया से प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं का एक माह का शिक्षण कार्य सुचारू रूप से होगा अपितु कक्षा 1 से 8 तक की परीक्षा माध्यमिक शिक्षा मंडल परीक्षा के पूर्व संपन्न कराई जाये।

संघ के आशुतोष तिवारी, डॉ संदीप नेमा, ब्रजेश मिश्रा, सुरेन्द्र जैन, शैलेष जैन, मनोज सेन, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, विनय नामदेव पवन ताम्रकार, महेश कोरी, गणेश उपाध्याय, मनीष शुक्ला, सोनल दुबे देवदत्त शुक्ला, अभिषेक मिश्रा, श्यामानारायण तिवारी, नितिन शर्मा, आर. के. गुलाटी आदि ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ईमेल कर मांग की है कि शिक्षा विभाग में दोहरा मापदण्ड बंद किया जाये।