स्वदेश में पुनर्निर्मित सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान शुक्रवार को नासिक स्थित वायुसेना के ओझर बेस रिपेयर डिपो में भारतीय वायुसेना को सौंपा गया। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित किया जा रहा बहुउद्देशीय एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान शुक्रवार को वायुसेना में शामिल हो गया। देश की रक्षा में उतरने वाला यह पहला ऐसा लड़ाकू विमान है, जो पूरी तरह भारत में निर्मित है। महाराष्ट्र के नासिक में स्थिर ओझर 11 बेस रिपेयरिंग डिपो ने इसे वायुसेना को सौंप दिया।
एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल हेमंत शर्मा ने दक्षिण पश्चिमी वायुसैनिक कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयरमार्शल एचएस आरोड़ा को एक समारोह में एसयू-30 एमकेआई विमान सौंपा। बता दें कि 40 सुखोई विमानों को ब्रह्मोस को प्रक्षेपित करने के लिए मोडिफाई करने का काम शुरू हो गया है। इस परियोजना की समय सीमा तय हो गई है। बताया जा रहा है कि यह परियोजना 2020 तक पूरी हो जाएगी। ब्रह्मोस मिसाइल दागने के लायक बनाने के लक्ष्य से सरकारी रक्षा कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में इन 40 सुखोई विमानों में संरचनात्मकर बदलाव किए जाएंगे। ढाई टन वजनी यह मिसाइस ध्वनि की गति से तीन गुणा तेज, मैक की गति से चलती है और इसकी मारक क्षमता 250 किमी है। पिछले साल ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भारतीय वायुसेना के सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से सफल परीक्षण किया गया था। ब्रह्मोस को जमीन, समुद्र और वायु से छोड़े जाने वाली दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बताया गया है।