भारतीय रेलवे ने खानपान सेवाओं का गहन विश्लेषण कर शुरू किए संरचनात्मक सुधार

रेल मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति की बैठक आज नई दिल्ली में हुई। बैठक के एजेंडे में 2 विषयों- भारतीय रेल में खानपान सेवाएं और भारतीय रेल स्टेशन विकास-अमृत भारत स्टेशन योजना को कवर किया गया। बैठक की अध्यक्षता रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की और इसमें कई सांसदों ने भाग लिया।

भारतीय रेलवे में खानपान सेवाओं के विषय पर सदस्यों को सूचित किया गया कि लगभग 1.8 करोड़ यात्री भारतीय रेल में यात्रा करते हैं और यात्रियों के लिए ट्रेनों और स्टेशनों में पर्याप्त खानपान सुविधाओं का प्रावधान और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में रेलवे ने न केवल खानपान सेवाओं का गहन विश्लेषण किया है, बल्कि कैटरिंग व्यवसाय में आमूलचूल परिवर्तन के लिए संरचनात्मक सुधार भी शुरू किए हैं।

यात्रियों को खानपान सेवाएं या तो स्टैटिक इकाइयों या मोबाइल इकाइयों के माध्यम से प्रदान की जाती हैं। पैंट्रीकार/मिनी पैंट्री के साथ 473 जोड़ी ट्रेनें हैं और 706 जोड़ी ट्रेनों में ट्रेन साइड वेंडिंग की सुविधा है। भारतीय रेल की 9342 छोटी और 582 प्रमुख स्‍टैटिक इकाइयां हैं जिनमें जन आहार आउटलेट, फूड प्लाजा और रिफ्रेशमेंट रूम शामिल हैं। भारतीय रेल की कैटरिंग नीति है, जिसका उद्देश्य ट्रेनों की कैटरिंग सेवाओं को बंद करके रेल यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण भोजन प्रदान करना और भोजन तैयार करने और भोजन वितरण के बीच प्राथमिक अंतर पैदा करना है।

मंत्रालय ने आईआरसीटीसी को ट्रेनों में खानपान सेवाओं के मेनू को अनुकूलित करने और तय करने की छूट दी है ताकि यात्रियों के विभिन्न समूहों की प्राथमिकताओं के अनुसार क्षेत्रीय व्यंजनों, मौसमी व्यंजनों और खाद्य पदार्थों की सभी वस्तुओं को शामिल किया जा सके। भारतीय रेल में ई-कैटरिंग योजना भी शुरू की गई है। मोबाइल और स्टैटिक कैटरिंग इकाइयों दोनों में कैशलेस लेनदेन की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। गुणवत्ता और सेवा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए कैटरिंग सेवाओं की तीसरे पक्ष द्वारा लेखा परीक्षा भी की जाती है। खानपान सेवाओं की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए नियमित और औचक निरीक्षण किया जाता है।

स्टेशन विकास विषय पर यह सूचित किया गया कि भारतीय रेल के स्टेशन का उन्नयन/आधुनिकीकरण एक सतत् प्रक्रिया है। अब तक तीन स्टेशनों-मध्य प्रदेश में रानी कमलापति, गुजरात में गांधीनगर और कर्नाटक में सर एम विश्वेश्वरैया रेलवे स्टेशन-का पुनर्विकास/आधुनिकीकरण किया गया है।

इन तीन स्टेशनों से प्राप्त अनुभव के आधार पर, भारतीय रेल में स्टेशनों के विकास के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना शुरू की गई है। इस योजना में दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना की गई है। इसमें स्टेशनों पर सुविधाओं में सुधार के लिए चरणबद्ध तरीके से मास्टर प्लान तैयार करना और उनका कार्यान्वयन शामिल है जैसे स्टेशनों की पहुंच में सुधार, सर्कुलेटिंग क्षेत्र, प्रतीक्षालय, टॉयल्‍स , लिफ्ट/एस्केलेटर, स्वच्छता, फ्री वाई-फाई, ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ योजना के माध्‍यम से स्‍थानीय उत्‍पादों के लिए कियोस्‍क, बेहतर यात्री सूचना प्रणाली, एक्‍जीक्‍यूटिव लाउंज, व्यावसायिक बैठकों के लिए नामित स्थान, लैंडस्‍कैपिंग आदि,  ऐसे प्रत्येक स्टेशन पर आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए।

इस योजना में भवन में सुधार, स्टेशन को शहर के दोनों किनारों के साथ एकीकृत करने, मल्टीमॉडल एकीकरण, दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल समाधान, गिट्टी रहित पटरियों का प्रावधान, आवश्यकता के अनुसार ‘रूफ प्लाजा’, चरणबद्ध और व्यवहार्यता और लंबी अवधि में स्टेशन पर सिटी सेंटरों के निर्माण की भी परिकल्पना की गई है। वर्तमान में, इस योजना में भारतीय रेलों के उन्नयन/आधुनिकीकरण के लिए 1275 स्टेशनों को लेने की परिकल्पना की गई है।