प्रश्नोत्तरी: प्रार्थना राय

जब मेरे नयन प्रभाहीन हो जाएंगे
आनन तेज मुक्त हो जाएंगे
मेरे कानों से वायु की सनसनाहट
भी सुनाई नहीं देगी

मेरे हाथ क्रियाहीन हो जाएंगे
मेरे पांव शिथिल पड जाएंगे
मेरी वार्ता का कोई अर्थ नही रह जायेगा
समस्त इंद्रियां जब संवेदनहीन हो जाएंगी
स्वयं के द्वारा नहीं कह पाऊंगी किसी
भी प्रकार की अभिव्यक्ति

मेरे शब्दों का कोई निचोड़ नहीं रह जाएगा
मेरे अपने भी मेरी अनुपस्थिति का
आभास करने लगेंगे

नहीं कोई जान पाएगा मेरी व्याकुलता
स्वयं एवं स्वप्नों की दुनिया से
कहीं दूर चली जाउगीं, बिसार
जाऊंगी तुम्हारे एहसास को

ऐसे में
क्या तुम हमें अपना कह सकोगे?
क्या तुम मेरी ओर देख सकोगे?
क्या मेरी बातों को बिना कहे जान सकोगे?
क्या मेरी आहट पर अनक सकोगे?
क्या तुम मेरी धड़कनों को महसूस  कर सकोगे?

ये कोई मेरा तुमसे प्रश्न नहीं है
आने वाले समय का प्रश्नोत्तरी है
हम दोनों भले ही रहते हों
एक साथ
पर यहां कौन निभा पाता है

प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश