विद्युत कंपनी प्रबंधन उठा रहा बेरोजगारी का फायदा: विद्युत संविदा एवं आउटसोर्स कर्मी बने शोषण का शिकार

MPEB Takniki Karmchari Sangh

देश में बढ़ती बेरोजगारी ने नियोक्ताओं को युवा वर्ग के शोषण का सबसे बड़ा हथियार दे दिया है। पहले बेहद कम वेतन पर युवाओं को नौकरी पर रखो, फिर सारे नियमों को ताक पर रखकर उनका शोषण करो। आज सरकारी और निजी कंपनियों के प्रबंधन की मंशा भी यही हो गई है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों में 40,000 संविदा एवं आउटसोर्स कर्मी कार्यरत हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखकर कहा जा सकता है कि इन युवाओं का भविष्य अंधकार में है।

उन्होंने कहा कि विद्युत कंपनी प्रबंधन के द्वारा ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया गया है, जिससे इन कर्मियों एवं इनके परिवार का जीवन सुरक्षित रहे। जबकि मध्य प्रदेश के 52 जिलों की विद्युत व्यवस्था को चलायमान रखने में इनकी सबसे बड़ी भूमिका है।

संविदा कर्मचारी पिछले 10 वर्षों से लगातार कार्य कर रहे हैं। इनके अनुबंध में लिखा है कि करंट का कार्य नहीं करना है, मगर अधिकारी नियमों को दरकिनार कर बेजा दबाव बनाकर इनसे करंट का कार्य कराते हैं और करंट लगने से संविदा कर्मी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को सिर्फ 4,00,000 रुपये की राशि देकर इतिश्री कर ली जाती है।

विद्युत कंपनी प्रबंधन के द्वारा किसी भी कर्मी का कोई भी दुर्घटना बीमा नहीं कराया गया है और  ना ही इलाज कराने के लिए कैशलेस बीमा की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा इन कर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने की कोई नीति है।

इसी प्रकार विद्युत कंपनी प्रबंधन के द्वारा बेरोजगार युवाओं का किस प्रकार फायदा उठाया जा रहा है, जिसका जीवंत उदाहरण हैं आउटसोर्स कर्मी। कम वेतन देकर ज्यादा काम लेना और किसी भी प्रकार की सुविधा ना देना, विद्युत कंपनी की नई नीति बन गई है।

बेरोजगारी के कारण आउटसोर्स कर्मी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। मात्र 8000 रुपये प्रति माह के नाममात्र वेतन पर जमकर इनका शोषण किया जा रहा है। इस पर भी हमेशा उनके गर्दन पर नौकरी से निकाले जाने की तलवार लटकती रहती है। आउटसोर्स कर्मी की भर्ती करके और भी कंपनी प्रबंधन आराम कर रहा है। अगर करंट का कार्य करते हुए श्रमिक मृत हो जाता है, तो पूरा जिम्मा ठेकेदार के ऊपर डाल देते हैं और उसके परिवार को भी 4,00,000 रुपये दे देते हैं।

वहीं इन कर्मियों को भी ठेकेदार के द्वारा कोई दुर्घटना बीमा या कैशलेस हेल्थ बीमा की कोई सुविधा नहीं दी जाती है। इतना बड़ा विद्युत उद्योग चला रहे हैं, इसमें सभी संविदा कर्मियोंको नियमित एवं आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन करना चाहिए।

संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, एसके मौर्या, केएन लोखंडे, मोहन दुबे, शशि उपाध्याय, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, सुरेंद्र मेश्राम, नीरज पटेल, पीरखान, दिनेश, हरि सिंह सिकरवार, राजेंद्र सेन, निहार बनर्जी, देवेंद्र कुमार पटेल ने सभी कंपनी प्रबंधकों से मांग की है कि संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों के साथ श्रम एवं मानव अधिकारों का उलंघन ना किया जाये। संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाये और आउटसोर्स कर्मियों श्रमिकों को संविलियन किया जाये। इन कर्मियों का भविष्य अंधकार में है, विद्युत मंडल अपनी जिम्मेदारी समझकर उनके एवं उनके परिवार के भविष्य की जिम्मेदारी ले।