भूख गरीबी और लाचारी,
जिंदगी तुझे पुकार रहे
मन मस्तिष्क के बेचैन सभी के,
खौफ से वक्त गुजार रहे
समाचार सुन रोज नए,
दहशत हो गई भारी
लगता है महामारी से,
सब सरकारें हारी
मंदिर-मस्जिद बंद पड़े सब,
बुद्धि तुझे पुकार रहे
मन मस्तिष्क के बेचैन सभी के,
खौफ से वक्त गुजार रहे
पहले जनता कर्फ्यू देखा,
फिर लॉकडाउन में बंद हुए
आया वक्त फिर एक ऐसा,
नहीं किसी को कोई छुए
आई मुसीबत में मानवता,
संशय में न शुमार रहे
मन मस्तिष्क बेचैन सभी के,
खौफ से वक्त गुजार रहे
श्रमिक पलायन पर चले,
शहर शहर से भाई।
कोई कहीं न सुनता उनकी,
सरकारें सब बौराई
रोजी गमा चल पड़े वतन को,
अपने उन्हें पुकार रहे
मन मस्तिष्क बेचैन सभी के,
खौफ से वक्त गुजार रहे
-रामसेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश
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