हे गिरधर तेरी बाट निहारूँ
हर पल तेरा नाम पुकारूँ
बागों से मैं फूलों को लाऊँ
चुन चुन तेरे लिये हार बनाऊँ
माखन मिश्री का भोग लगाऊँ
करमारो खीचड़ो खिलाऊँ
हे गिरधर तेरी बाट निहारूँ
सांझ सवेरे तुझे टेर लगाऊँ
तेरे भजनों में रम जाऊँ
तेरे लिये मैं नाचूँ गाऊ
अँखियों को असुवन से भिगोऊँ
प्रेमभाव के दीप जलाऊँ
हे गिरधर तेरी बाट निहारूँ
राधा सी दीवानी हो जाऊँ
मीरा सी जोगन बन जाऊँ
सूरदास सा सखा बनाऊँ
रसखान सा ढूंढ़ती जाऊँ
हे गिरधर तेरी बाट निहारूँ
मोरपाख बन शीश सजाऊँ
मुरली बन अधरों पर आऊँ
ग्वाल बाल बन साथ में पाऊँ
ग्वालिन बन माखन खिलाऊँ
नंद बाबा का आँगन बन जाऊँ
चरणों का तेरे सुख पाऊँ
हे गिरधर तेरी बाट निहारूँ
गोवर्धन का प्रस्तर बन जाऊँ
कदम्ब की डाल बन इतराऊँ
बंशी धुन पर मैं इठलाऊँ
यमुना का मैं जल बन जाऊँ
तेरे चरणों का सुख पाऊँ
नाम तेरा ही रटती जाऊँ
अंत समय मे दर्शन पाऊँ
जन्मों-जन्मों का सुख पाऊँ
हे गिरधर तुझमें रम जाऊँ
-गरिमा राकेश गौतम
कोटा, राजस्थान