पापा सम्बोधन मात्र नहीं
रक्षा कवच घर का
संघर्ष है जीवन का
खुशियां है परिवार की
पापा सम्बोधन मात्र नहीं
सारी समस्याओं का हल हैं
सुरक्षा कवच है मेरा
उनकी जिद
सफलता है मेरी
मेरा विश्वास और
आधार है मेरे पापा
हिम्मत है मेरी
मेरी खुशियों का पिटारा
है मेरे पापा
मेरे पालक पोषक
मेरी पतवार हैं
लड़खड़ाते मेरे कदमों का
सहारा है मेरे पापा
सरल, सहज
कभी-कभी गुस्साते है
मेरी हर नादानी पर
हँसते है मेरे पापा
मेरी खुशियाँ माँगते
बनके फकीर मेरे पापा
मेरे लिये तो
सारी दुनिया हैं मेरे पापा
पापा की थकी आँखो में
मेरे लिए सपने है
मेरे लिये दो जहाँ की
दौलत है मेरे पापा
सारे जहाँ में सबसे
अच्छे मेरे पापा
पापा सम्बोधन मात्र नहीं
मेरी हर मुस्कराहट का
कारण है मेरे पापा
-गरिमा राकेश गौतम
कोटा, राजस्थान