स्वर किया मुखर
अन्याय के विरुद्ध
पाकर अभिव्यक्ति का अधिकार
ग़लत ठहरा दी गई
वो क्रान्तिकारी आवाज़ ही,
फ़ासीवादियों की हुई जयकार
नज़रबन्द है वो गर्भवती
चरित्र हनन का सामना करती
पैरोल की थी उम्मीदवार
ना मिली ज़मानत क्यूँकि
नयी आवाज़ होती है वर्तमान के ख़िलाफ़
कट्टरपंथी नफ़रत से थी हाहाकार
खुलेआम घूम रहे घोर अपराधी
पर नहीं था शक्तिशाली हाथ का साथ
बनी सत्ता के आँखों की खार
मत भूल ऐ नारी
न्याय की देवी होती है अन्धी
तू है नागरिक ज़िम्मेदार
वरन् हो जाएगी गणतंत्र की हार
-अफ़शां क़ुरैशी
क़स्बा मवाना,
मेरठ, उत्तर -प्रदेश