हरितालिका तीज 2023: व्रत एवं पारण की तिथि और शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य ऋचा श्रीवास्तव

आइए जानते हैं कि 2023 में हरतालिका तीज कब है व पूजन का मुहूर्त कब है?

सनातन संस्कृति में हरतालिका तीज व्रत का विशेष स्थान है और ये हमारे हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है।

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है।

हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। विधवा महिलाएं भी इस व्रत को कर सकती हैं। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है।

सनातन मान्यता है कि सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

हरतालिका तीज व्रत के नियम

  • हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
  • हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
  • हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
  • हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।

पूजा विधि

हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है-

  • हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है।
  • सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है।
  • यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
  • हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
  • पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
  • सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है।
  • इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है।
  • सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
  • इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।
  • आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।

हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व

हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए।

एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर आए, लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो, वे विलाप करने लगी। एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि, वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं। इसके बाद वे अपनी सखियों के साथ पिता का घर छोड़कर वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। चूंकि सखियां माता पार्वती को हर करके वन में ले गईं थीं, इस लिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा। 

इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

मुहूर्त

पंचाग के अनुसार 17 सितंबर को 11 बजकर 8 मिनट से तृतीया तिथि शुरू होगी जो अगले दिन यानी 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार से यह व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा। 18 सितंबर को सुबह 6 बजे से रात के 8 बजकर 24 मिनट तक का समय शिव और पार्वती की पूजा के लिए उपयुक्त है। लेकिन शाम को प्रदोष काल के समय पूजा करना बेहद अच्छा माना जाता है। सूर्यास्त के बाद के लगभग ढाई घण्टो का काल प्रदोष काल कहा जाता है। अतः शाम को स्थानीय सूर्यास्त के बाद दो घण्टो के भीतर पूजन कर लेना चाहिए। इस व्रत का पारण 19 सितम्बर को प्रातः 6 बजे के बाद होगा।