हो गई मेरी जमीं सब
हो गया है ताज मेरा
मैं अँधेरा कह रहा हूँ
आ गया है राज मेरा
ज़ुर्म के बादल बनेंगे
ख़ून की बरसात होगी
नफ़रतों का कहर होगा
प्यार से क्या बात होगी
कष्ट के तूफ़ान होंगे
ज़िन्दगी की हर घड़ी में
मुश्कि़लों से दिन कटेगा
ग़र्दिशों में रात होगी
और यह वादा रहा है
इस जगत् से आज मेरा
मैं अँधेरा कह रहा हूँ
आ गया है राज मेरा
यह समय का खेल देखो
हर शराफ़त बिक रही है
सत्य की बुनियाद सारी
बेबसी में दिख रही है
न्याय का कुछ भी ठिकाना
अब अदालत में नहीं है
सिर्फ़ पैसों की कहानी
काग़ज़ों पै लिख रही है
धर्म के भोले गगन में
उड़ रहा है बाज़ मेरा
मैं अँधेरा कह रहा हूँ
आ गया है राज मेरा
जो मुझे बर्बाद करते
वह कहीं पर खो गए हैं
रिश्वतों की चादरों में
लीन हो कर सो गए हैं
चंद पद की चाह मन में
लोभ लालच भर गई है
सूर्य के सारे पुजारी
साथ मेरे हो गए हैं
सब उजालों के समर्थक
गा रहे स्वर साज मेरा
मैं अँधेरा कह रहा हूँ
आ गया है राज मेरा
-पुष्पेन्द्र सिंह ‘उन्मुक्त’
गांव-नर्रऊ,पोस्ट-चंदैया,
जिला- अलीगढ़-202139
सम्पर्क- 8192989944