अदृश्य- जसवीर त्यागी

बहुत कुछ ऐसा होता है
जो किसी अभिनय में नहीं उतर पाता

किसी बातचीत या इंटरव्यू में उसके
संकेत सूत्र नहीं मिलते

किसी डायरी में भी
वह दर्ज नहीं होता

घर-परिवार वाले और
करीबी मित्र भी होते हैं अनभिज्ञ

सोशल मीडिया में भी कहीं
उसकी कोई
परछाई नहीं पायी जाती

लेकिन ऐसा नहीं है
कि वह जीवन में होता नहीं

वह अदृश्य,अनदेखा,अनछुआ
आँख गड़ाये,घात लगाये
बैठा रहता है
मानसिकता के किसी अँधेरे कोने में

फिर किसी दिन
उचित,अनुकूल अवसर मिलने पर
सामने वाले को पाकर नितांत अकेला
पीछे से धर दबोचता है

और जो अभी तक
अज्ञात,अदृश्य,अनजान,अलभ्य था

वह अचानक
शंका-संदेह
दुख-दर्द के रूप में चमकता है दृश्य बनकर
सबके चेहरों पर
एक दिन

-जसवीर त्यागी