डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान
संस्कारों की रीढ़ की हड्डी कहते हैं हम हिंदी को।
अंग्रेजी ने कमर तोड़ दी लचका के चले अब हिंदी तो।।
जो बोले हिंदी भाषा में, अनपढ़ वो कहलाता है।
अंग्रेजी में मटक के बोले, ज्ञानी साक्षर कहलाता है।।
प्रणाम, नमस्ते अभिवादन ये सम्मान शब्द के सूचक हैं।
हाय, हैलो में भाव नहीं ये संप्रेषण के दूषक हैं।।
प्रेम से बोलो अतिथि स्वागत, वेलकम उपयोग करो कम तुम।
मधुर भाव से हिंदी बोलकर, हर दिल के प्रिय बन जाओ तुम।।