आशा- आशा सिंह

दिल अब छोटा न रहा,
और न ही छोटी रही आशा
अब छोटी न मैं रही,
न ही छोटे हैं सपनें मेरे
ऊँची उड़ान के लिए,
तैयार कर रहीं हूँ खुद को,
सुना है मंजिल बहुत खूबसूरत है,
बेशक रास्ते में हैं मुश्किलें
क्यूंकि मंजिल की खूबसूरती का
तभी चलता है पता,
जब ठोकरों के साथ सामना होता है,
चलते रहिए, बढ़ते रहिए
मंजिल को पाने के लिये
रस्ते में आये कंकरो की परवाह नहीं की जाती
चलते जाना ही जिन्दगी है,
रुके हुए जल को जैसे कोई नहीं पीता,
उसी प्रकार रुका हुआ इन्सान,
मंजिल तक कैसे पहुँच है सकता
एक जिद्द है, प्रण है,
रास्ता बेशक, कष्टों से भरा है,
मंजिल को तो पाकर ही रहूंगी,
अपने नाम का अर्थ सिद्घ करके रहूंगी
सबकी आशायें पूरी कर के ही रहूंगी,
अपने देश का नाम रोशन करके रहूंगी
अपने देश
दिल अब छोटा न रहा,
और न ही छोटी रही आशा
जय हिंद
जय भारत

-आशा सिंह
लुधियाना