प्रेम में भरना- जसवीर त्यागी

तुम्हें याद न करते हुए भी
कई-कई बार याद करता हूँ

यह जानते हुए कि
तुम अपने काम में डूबी होगी
फिर भी रह रहकर देख लेता हूँ मोबाइल

कहीं कोई
हवा में उड़ता हुआ संदेश
आकर चिपक गया हो
तुम्हारे नाम का

तुम्हारे कहे शब्द याद करता हूँ
और तुम्हारे अनकहे में
देर तक खोजता रहता हूँ
छिपा छूटा हुआ-सा कुछ अनमोल

तुम्हारे शब्द चमकते हैं
स्मृतियों के उपवन में
धूप में खिले हुए पुष्पों की तरह

प्रेम
सिर्फ़ दो इंसानों को
एक ही नहीं करता है

प्रेम
अकेले आदमी को
दूसरे की अनुपम अनुभूति से भी भरता है

-जसवीर त्यागी