मुहब्बत की राह में- आशीष दशोत्तर

चल तो रही है साथ में परछाइयां तेरी
लेकिन कभी न छू सकी ऊंचाइयां तेरी

सह तो रहा है हर कोई मनमानियां तेरी
तुझ पर ही ज़ुल्म ढाएंगी बदमाशियां तेरी

ये सोच कर कि तुझको समझ आएगी कभी
हर कोई भूलता रहा नादानियां तेरी

खुशहालियों के सांचे में ढल तो गया मगर
फिर भी ये कम न हो सकीं दुश्वारियां तेरी

खुद को मिटा के देख मुहब्बत की राह में
कोई न भूल पाएगा कुर्बानियां तेरी

आशीष बज़्मे-यार ही दिल में सजा के रख
तन्हा तुझे न कर सके तनहाइयां तेरी

-आशीष दशोत्तर
12/2, कोमल नगर
रतलाम (मप्र)
मो- 98270 84966