मैं भारत हूँ
आजाद भारत
अपनी व्यथा सुना रहा हूँ
बहुत खुश हुआ था
मैं जब आजाद हुआ
तोड़ गुलामी की बेड़ियों को
पंछी सा आकाश में उड़ा था
लेकिन क्या यही मेरा सपना था
आज अपने हाल पर
खुद आँसू बहा रहा हूँ
मैं भारत हूँ
जातियों की आड़ में
धर्म की बाड़ में
मजहबों में मैं बँट रहा हूँ
मैं भारत हूँ
नेताओं द्वारा लूटा गया
साम्प्रदायिकता की आग में जला
भूखे नंगे बेघरों को
भूख से मरता देख रहा हूँ
मैं भारत हूँ
इतनी पावन नदियाँ थी मेरी
पाप तक धो जाती है
आज उन्ही नदियों को
स्वच्छ भारत अभियान के तहत
साफ होता देख रहा हूँ
मैं भारत हूँ
-गरिमा राकेश गौतम
505, कोटा, राजस्थान