मौन कलरव: वंदना सहाय

वंदना सहाय

सुना है
छोड़ दिया है चिड़ियों ने
बेफ़िक्र हो चहचहाना
गाँवों के पेड़ों की शाखों पर भी

यहाँ पहले इन चिड़ियों की
चहचहाहट को
पहचानते थे ये लोग

लेकिन अब पहचानने लगीं हैं चिड़ियाँ-
लोगों की आवाजें, उनकी बोलियाँ
और साथ ही,
कब बदलता है उनका रुख़
कब बदलते हैं उनके इरादे
कब भोंकेंगे वे पीठ में छुरा

वे चुपचाप सुनतीं है, उनकी ग़ुफ़्तगू
गाँवों को शहरों में बदलने का कुप्रयास
मीत पेड़ों के काटे जाने का षड्यंत्र

और पेड़ों के काटे जाने पर
निकल आती है- आह
जो कर देती है
उनके कलरव को मौन