साहित्य प्रेम का दाह- सोनल ओमर By लोकेश नशीने - June 12, 2020 WhatsAppFacebookTwitterTelegramCopy URL तुम्हारे प्रेम में रहती हुई, खुद से कई बार लड़ी मैं खुद को ही ज़िंदा रखने को, खुद में कई बार मरी मैं मुश्किल था तेरे छल को, भूलकर आगे बढ़ पाना झूठे प्रेम का दाह कर के, खुद में साँसें भरी मैं -सोनल ओमर कानपुर, उत्तर प्रदेश