दिन भर की भीषण गर्मी
सबको बड़ी सताती है
मानव, पशु-पक्षी, वृक्ष की
व्याकुलता बढ़ती जाती है
सूरज की अग्नि तपिश से
तन सबका झुलस रहा है
बिन जल के कहाँ है जीवन
मन प्यासा तरस रहा है
है इन्द्र देव बरसात दे दो
गर्मी से थोड़ी तो राहत दे दो
कैसी है घड़ी जीवन की आई
हवा भी बंद है बिजली भी न आई
है पवन देव बहती हवा दे दो
गर्मी से थोड़ी तो राहत दे दो
-अतुल पाठक
हाथरस, उत्तर प्रदेश