वो जो चूम के लबों से
पीठ पर लिख गए थे
वो छुअन ही नशा है
वो मुहब्बत शराब है
तुम हँस के मिलो सबसे
सब हँस के मिले तुमसे
इसी बात से दिल जला है
यही आदत खराब है
तेरी मुस्कान जो ठहरती है
मेरे होठ पे आकर
एक जाम छलकता है
और नशा बेहिसाब है
कैसे कहूँ कि मैं
ये चाँद है सनम सा
नहीं कुछ भी नहीं तुझसा
तू बस लाजवाब है
-रूची शाही