ज़िन्दगी एक किताब होती तो
सच में कितना अच्छा होता
पन्ने पलट कर पढ़ लेती
आगे क्या अच्छा होगा
मिटा देती उन लम्हों को
जिसमें कुछ बुरा होता
ज़िन्दगी एक किताब होती तो
सच में कितना अच्छा होता
फ़ाड़ देती उन पन्नो को
जिसने मुझे रूलाया था
जोड़ देती उन पन्नो को
जिसने मुझे खूब हंसाया था
ज़िन्दगी एक किताब होती तो
सच में कितना अच्छा होता
सहेज कर रख देती उस किताब को
जिसमें ना कोई ग़म होता
कुछ नये, पुराने दोस्त होते
कोई ना दुश्मन होता
काश! ज़िन्दगी एक किताब होती तो
सच में कितना अच्छा होता
-ममता रथ
रायपुर