गुलाबी-गुलाबी सुबह- शशांक रावत शिखर

गुलाबी-गुलाबी सुबह हो गयी है
निशा सो गई है, सुबह हो गयी है
जगो तुम, मुझे अपने दिल से लगाओ
जख्मो पे मेरे मरहम लगाओ
तुम बिन अधूरा तुम्हारा ये शेखर
करने को बातें तुमसे कई है
गुलाबी..
होठों से अपने सुरीले तराने,
सुनाओ हमे तुम अनुभव पुराने
विरह के समय की व्यथा मुझसे कह दो
एक एक दिवस की कथा मुझसे कह दो
जब जब मुझे तेरी यादें सताई
मन ने मिलन की इच्छा जताई
अश्रु का झरना आंखों से बरसता
ताके ये आंखे सिर्फ तुम्हारा ही रास्ता
हमारे विरह की गति थम गई है
हमारे मिलन की तिथि आ रही है
आ जाओ स्वागत तुम्हारा मैं करता
लेकिन तुम्हारे फिर से जाने से डरता
वादा करो साथ जीवन का मेरे
निभाओगी लेकर तुम साथ फेरे
शुरुआत जीवन की फिर से नई है
गुलाबी…
दुनिया की सारी खुशी मिल गयी है,
हमेें तुम मिले जिंदगी मिल गयी है

– पं शशांक रावत शिखर
(बुन्देलखण्ड)
कवि, गीतकार
मोबाइल- 9340345351