प्रीत जताय दयी थोरी- डॉ उमेश कुमार राठी

गारी मति दे मोहि सरासर
ओ बरसाने की छोरी
गाल छुये मधु बोल सुनाये
प्रीत जताय दयी थोरी
लाल गुलाल लगायौ हमने
तोकूँ संग नचायो हमने
भंग पिलायी खुद हाथन से
दिल से तंग करी थोरी
गारी मति दे मोय सरासर
ओ बरसाने की छोरी

पिचकारी से छोड़ फुहारें
भौत दिखायीं रंग बहारें
धार करै है सरर सरर अब
भीज गयी चोली तोरी
गारी मति दे मोहि सरासर
ओ बरसाने की छोरी

होरी है त्यौहार हमारौ
प्यार दुलार सदा से वारो
रास रचाये संगी साथी
सुन माखन मिश्री मोरी
गारी मति दे मोय सरासर
ओ बरसाने की छोरी

खनकी चूड़ी खनके कँगना
भाव विभोर भयौ ये सजना
रंग उड़ेलौ प्यार मिलाकर
मीत कमोरी भी फोरी
गारी मति दे मोय सरासर
ओ बरसाने की छोरी

-डॉ उमेश कुमार राठी