हँसते हुये उसने पूछा- अनामिका वैश्य

हँसते हुए उसने पूछा कहो इरादा क्या है तेरा
सदियाँ साथ बितानी हैं या कुछ पल रैन बसेरा

सीने में ग़म छुपाकर नैनो से ताका झांकी कर
आँक रहे हैं दोनों ही क्या अपना होगा सवेरा

विश्वास अडिग है प्रभुजी पर साथ मेरा देंगे
मिट जाएगा का एक न एक दिन घोर अँधेरा

तेरा-मेरा का भेद नहीं मोह नहीं रखना कभी
जो कुछ भी सब हमारा है साथी तेरा न मेरा

हवा वक़्त की तेज़ चले दिन सुख के लाएगी
ग़म-ए-बादल ढल जाएंगें बीतेगा मेघ घनेरा

जग दोगला जैसे मुख में राम बग़ल मे छुरी
जग जहरीला सर्प लगे ईश्वर जैसे है सपेरा

-अनामिका वैश्य आईना
लखनऊ