ज़िन्दगी- रुपाली दळवी

ज़िन्दगी तेरे तोहफे भी अजीब हैं
जितनी तू उलझी हुई पहेली हैं
उतनी ही तू खूबसूरत सी सहेली हैं
दुख के दामन छोड़कर भागने भी नहीं देती
सुख के पलोको संजोने भी नहीं देती
हर मोड़ पर खड़ी अग्नि परीक्षा सी है
होटों की हंसी को खोने नहीं देती
और आँखों की नमी को हटने नहीं देती
सासों को तोड़ना भी चाहती हैं पर
दिलको धङकनो से सींचती हैं
सबकुछ खत्म करने का इशारा भी देती है और
नए रास्ते की आहट भी देती है
सपनों को चूर-चूर करके
नई उम्मीदों को दामन से बांधती हैं
जिंदगी तेरे भी तोहफे अजीब हैं

-रुपाली दळवी, ओहोळ