खलने लगी है मेरी बात: संजय अश्क

संजय अश्क
बालाघाट
संपर्क- 9753633830

औकात से ज्यादा दुश्मन अच्छा है
किरदार में वैसा ही वज़न अच्छा है

कांटों में रह भी खिलता महकता है
गुलाब सा बनाया जीवन अच्छा है

साथ होकर ही दगा करती है दुनिया
ख़िलाफ़ रहने का है मन, अच्छा है

खलने लगी है मेरी बात अब उनको
सच है इसमें बड़ा कारण अच्छा है

कर्ण बनकर दुर्योधन का साथ देने से
ग़लत के ख़िलाफ़ हो रण अच्छा है

इंसान तो आज कोई भी अच्छा नहीं
लेकिन पास है उसके धन अच्छा है