यादों के रेत कण: प्रार्थना राय

प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश

कब फिसल गया
वो समय हाथ से
जिसमें थी मेरे हक़ की खुशियां
और सुनहरे क्षण
मगर अब रह गये सिर्फ
हथेली की नमी में
चिपके कुछ यादों के रेत कण

और गुजर रही है ज़िन्दगी
एक-एक पल को नाप-तौल के
समय के श्यामपट पर
कर नहीं पायी अपने अस्तित्व का
पुनरावलोकन

पर ऐसा भी नहीं था
जिसमें न कर सकूं
स्वयं का मूल्यांकन
संशय के द्वार पर
दुनियादारी की आवाजाही में
अटके मन से सभी का
सबसे पूछना एक लघु प्रश्न,
तुम कौन?
प्रश्न सरल है,
परन्तु उत्तर थोड़ा सा भटका हुआ
संबंधों की चिकनी सड़क पर
जैसे बिखरे हुए कुछ कंकर-पत्थर
और हमारे-तुम्हारे अस्तित्व के
मध्य एक सम्मोहन