प्रेम और वशीकरण: श्रुति आरोहन ‘तरुणा’

श्रुति आरोहन ‘तरुणा’
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(मेरा यह लेख प्रेम के पक्ष में है, वशीकरण के नहीं)

मेरे पास प्रेम में छली गई लड़कियाँ या वो पत्नियाँ जो पति के भटकने से पीड़ित होकर आती है और एक ही उपाय चाहती है कि प्रेमी या पति उनके वश में हो जाए।

मेरा सीधा प्रश्न होता है कि आपको दास चाहिये या प्रेमी/पति?

अग़र आप सच्चा प्रेम करती है तो निश्चय ही दास नही चाहेंगी। वशीकरण से आपका प्रेमी या पति दास बनेगा। वो यंत्रवत कार्य करेगा उसमें स्वाभाविकता का लोप हो जाएगा।

जिस प्रकार से कोई यंत्र किसी ना किसी सुचालक के माध्यम से चलता है, आपको हमेशा उसे चलाने के लिये जीवन भर तंत्र प्रयोग करके ही चलाना पड़ेगा।अन्यथा जिस ऊर्जा से आपने उसे वश में किया है जैसे ही उस ऊर्जा का ह्रास होगा वो अनियंत्रित होकर आपके प्रति हिंसक भी हो सकता है।

कुंडली के पंचम भाव से प्रेम को देखा जाता है। जब आप प्रेम को तंत्र प्रयोगों से वश में करने का प्रयास करते है तो आपके षष्ठम् भाव के अशुभ प्रभाव एक्टिव हो जाएगें।

पति के लिये सप्तम् भाव देखा जाता है यहाँ वशीकरण का अर्थ हो जाएगा हमेशा के लिये अष्टम का अशुभ प्रभाव एक्टिव कर लेना। यह पति का द्वितीय भाव भी है और आपका ससुराल भी।

जहाँ भी आपसे चूक हुई आपके पति के साथ ही ससुराल पक्ष पूर्णत आपके लिये शत्रु हो सकते है। यह भाव आपकी आयु क्षीण कर सकता है। यह भाव आपको मृत्यु उपरांत कष्ट दे सकता है या आपकी मृत्यु कष्टपूर्ण हो सकती है।

लोग प्रेम और वशीकरण को एक साथ जोड़कर देखते है।

प्रेम में पाने का भाव नही होता जहाँ किसी वस्तु पे नियंत्रण की भावना हो जाती है वहाँ प्रेम का अंत होता है। फ़िर आप उसे सम्पत्ति समझ रहे है जो कि नश्वर है। प्रेम अनश्वर है। जो नष्ट हो जाए वो फ़िर प्रेम कहाँ रहा।

प्रेम के कारक ग्रह शुक्र व चंद्र आपकी कुंडली मे कमजोर हो जाते है। आपकी कुंडली में राहु के अशुभ फलों का प्रभाव बढ़ जाता हैं।

प्रेम और वशीकरण दोनों को प्राय: लोग एक दूसरे से जोड़ लेते है। लेकिन दोनों एक दूसरे के विरोधाभासी है। प्रेम बहुत ही पवित्र भावना है जिसका संबंध हृदय और आत्मा से है जो कि बंधन रहित है।
वशीकरण से प्रेम प्रेम नही रहता है वो बंधता है जहाँ वासना होती है। यहाँ अशुभ शुक्र, मंगल और राहु का संबंध हो जाता है।

आप जीवन भर एक यंत्रवत कार्य करने वाली देह के साथ जुड़ते है जिसके तार टूटते ही वो फ़िर से अनियंत्रित हो सकता है।

जो प्रेमी आपके साथ छल कर गया है आप उसे जाने दें। ताकि आपका शुक्र और चंद्र शुभ प्रभाव दे। यदि आपका प्रेम सात्विक और सच्चा है तो वो लौटेगा भगवान की शरण में जाएं और उनसे निवेदन करें प्रार्थना करे। वश में करने के लोभ में न जाने कितनी लड़कियाँ ऐसे कार्य कर बैठती है जिससे उनका गुरु भी दूषित हो जाता है।

बहुत से सात्विक उपाय होते है जिन्हे आप अपनी कुंडली का पूर्ण विश्लेषण करवा कर स्वयं कर सकती है और जान सकती है कि किन ग्रहों के कारण आपकी कुंडकी में प्रेम मे छले जाने के योग बने। उन ग्रहों का उपचार करवा कर आप उन्हे सुधार सकती है और जो नही लौट सकता है सात्विक उपचारो से उन्हे वशीकरण के प्रयोग से बाँधने के प्रयासो में अपनी हानि न करे और एक नए जीवन की शुरुआत करे। ईश्वर को धन्यवाद दें कि आपका पूर्वजन्म का ऋण था जो उतर गया वो अधिक हानि करके नही गया। वरना कई लड़कियों का जीवन तक खतरे में आ जाता है, मान सम्मान को हानि पहुँचती है वो अलग़।