चैत्र नवरात्रि षष्टी: माँ कात्यायनी की आराधना से होती है मनोवांछित वर की प्राप्ति

चैत्र नवरात्रि के छटवें दिन माँ कात्यायनी की आराधना-उपासना की जाती है। इस बार षष्टी तिथि गुरुवार 7 अप्रैल को पड़ रही है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है, जो शत्रुओं का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। माँ कात्यायनी की कृपा-भक्ति पाने के लिए माँ के मंत्र का जाप करना चाहिए।

माँ कात्यायनी का रूप सोने के समान चमकीला है तथा माता सिंह पर सवारी करती है। माता चार भुजा धारी है, इनके दांए ओर की ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा धारण किये हुए है तथा नीचे वाले हाथ में वरमुद्रा धारण है। माता के बांए ओर उन्होंने अपने एक हाथ से कमल का पुष्प पकड़ा है व अपने दूसरे हाथ से उन्होंने तलवार पकड़ी है।

इसके अतिरिक्त जिन कन्याओं के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हें मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है। माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।

इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में परिपूर्ण आत्मदान करने वाले भक्तों को सहज भाव से माँ के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।

इस श्लोक का जाप करने से माँ कात्यायनी की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है-

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥