सनातन संस्कृति में माघी पूर्णिमा का है विशेष महत्व: यहां जानें दान, स्नान एवं पूजा का शुभ मुहूर्त

सनातन संस्कृति में पूर्णिमा और अमास्या की तिथि का विशेष महत्व है। यूं तो सनातन मान्यताओं में माघ मास का विशेष महत्व है और शास्त्रों के अनुसार इस माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने का विधान है, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार माघ पूर्णिमा अथवा माघी पूर्णिमा 5 फरवरी को है।

पंचांग के अनुसार शनिवार 4 फरवरी को रात 9:29 बजे से माघ पूर्णिमा तिथि लग रही है, जो रविवार 5 फरवरी को रात 11:58 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार 5 फरवरी को सूर्योदय के समय माघ पूर्णिमा तिथि रहेगी और रात में पूर्णिमा का चंद्रमा भी रहेगा। इस वजह से माघ पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान रविवार 5 फरवरी को किया जाएगा। इसके साथ ही इस साल माघ पूर्णिमा पर रवि पुष्य योग सहित चार शुभ योग भी बन रहे हैं। माघ पूर्णिमा की सुबह ढाई घंटे से अधिक समय तक भद्रा भी है। भद्रा सुबह 7:07 बजे से सुबह 10:44 बजे तक रहेगा।

माघ पूर्णिमा पर रवि पुष्य योग रविवार 5 फरवरी की सुबह 7:07 बजे से दोपहर 12:13 बजे तक रहेगा। इसके अलावा आयुष्मान योग सुबह से दोपहर 02:42 बजे तक रहेगा। वहीं सौभाग्य योग दोपहर 2:42 बजे से पूरी रात तक रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 07:07 बजे से दोपहर 12:13 बजे तक रहेगा।

माघी पूर्णिमा का स्नान और दान प्रात:काल से शुरु हो जाएगा। स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, फल, सब्जी आदि का दान करें। वहीं माघ पूर्णिमा के दिन बना रवि पुष्य योग बड़ा ही उन्नतिकारक माना जाता है। रवि पुष्य योग में नए वाहन, मकान, आभूषण की खरीदारी करना शुभ होता है। इस दिन सूर्यदेव का पूजन-अर्चन करने से धन-संपत्ति की वृद्धि होती है और आर्थिक उन्नति होती है।

पूजा विधि

माघी पूर्णिमा के दिन सुबह सवेरे उठकर ब्रह्मा मुहूर्त में स्नान किया जाता है। स्नान के उपरांत ऊं नमो नारायण: मंत्र का जाप किया जाता है। इसके बाद सूर्यदेव का पूजन किया जाता है। सूर्य देव को अघ्र्य देकर पूजा की जाती है। भोग में चरणामृत, पान, रोली, फल, तिल, सुपारी और कुमकुम आदि अर्पित किए जाते हैं। इसके पश्चात आरती करते हैं। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है। इसके पश्चात दान किया जा सकता है।