नौकरी से निकाले जाने का भय दिखाकर बिजली अधिकारी बना रहे आउटसोर्स कर्मियों पर महंगा एंड्रायड मोबाइल खरीदने का दबाव

मध्य प्रदेश की पावर ट्रांसमिशन कंपनी, तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में 8 से 10 हजार रुपए प्रतिमाह अल्पवेतन पाने वाले बिजली हेल्पर, मीटर रीडर, सब-स्टेशन ऑपरेटर आदि आउटसोर्स कर्मियों को बिना किसी लिखित आदेश के मौखिक रूप से विद्युत अधिकारी 8 से 10 हजार रुपए का एंड्रायड मोबाइल खरीदने हेतु मजबूर कर रहे हैं।

अधिकारियों द्वारा आउटसोर्स कर्मियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे स्वयं के रुपयों से मोबाइल खरीदकर व रिचार्ज करवाकर बिजली कंपनी का काम करें, वरना नौकरी छोड़ दें। इस वजह से अभी हाल ही प्रदेश भर में करीब 40 ठेकाकर्मी नौकरी से हटा दिये गये हैं, जबकि 100 से अधिक कर्मचारियों का वेतन काटा जा चुका है, जो सरासर नाइंसाफी है। 

मप्र बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव एवं सह संयोजक राहुल मालवीय व जिलाध्यक्ष सतीश साहू ने मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, एमडी एवं कलेक्टरों को प्रेषित लिखित शिकायत में कहा है कि पावर ट्रांसमिशन कंपनी एवं तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में संविदा व आउटसोर्स मीटर रीडर, हेल्परों से फोटो रीडिंग, 11 केवी लाईनों का सर्वे व मैपिंग का कार्य, सब-स्टेशन ऑपरेटरों से पोर्टल पर हर घंटे अपलोड का ऑनलाइन कार्य स्वयं के मोबाइल से करने हेतु लगातार मौखिक दवाब बनाया जा रहा है, जबकि ऐसा कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है।

उन्होंने बताया कि संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों से उनके निजी मोबाइल के आईईएमआई नम्बर उनसे लिये गये हैं और उन्हें डाटा केबल दी गई है, जबकि पहले यह सभी काम बिजली कंपनी की टीएसजी विंग के जरिये होते थे। कुछ वर्ष पूर्व बिजली कंपनी ने कई कर्मचारियों को इंटेक्स कम्पनी के मोबाईल भी दिये थे, पर बाद में उनसे वापस ले लिये।

मनोज भार्गव का कहना है कि इन दिनों संविदा एवं आउटसोर्स कर्मी अपनी नौकरी बचाने हेतु उधार लेकर एंड्रायड मोबाइल फोन खरीदने पर विवश हैं, अन्यथा उन्हें नौकरी से हटाने का दबाव बनाया जा रहा है, जो अमानवीय आर्थिक प्रहार है। कर्मचारियों का कहना है कि जब वह बिजली कंपनी का काम करते हैं, तो उन्हें मोबाइल उपकरण व रिचार्ज करवाने की व्यवस्था भी बिजली कंपनी को ही करना चाहिये, ताकि बढ़ती मंहगाई में उन पर वित्तीय बोझ नहीं आये।