देर से आने की आदत से मजबूर विद्युत कार्यालयों का स्टाफ: ऑफिस खुलने के बाद पसरा रहता है सन्नाटा

कोरोना काल में बायोमेट्रिक अटेंडेंस की बाध्यता को खत्म करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने शासकीय कार्यालयों में फाइव डे वीक का नियम लागू किया है, जो 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगा। इसी के अंतर्गत मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों के प्रबंधन ने भी फाइव डे वीक का नियम लागू करते हुए, कार्यालयीन समय में भी बदलाव किया है।

विद्युत कंपनियों के प्रबंधन के द्वारा जारी आदेश के अनुसार सभी विद्युत कार्यालयों में शनिवार और रविवार को अवकाश रहेगा। वहीं सप्ताह के पांच कार्यालयीन दिवसों में सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक काम होगा। ताकि विद्युत उपभोक्ताओं को किसी तरह की परेशानी न हो। लेकिन कार्यालयीन स्टाफ की मनमर्जी के चलते प्रबंधन के आदेश की लगातार धज्जियां उड़ाई जा रही है। वहीं प्रबंधन के आला अधिकारी की आँख मूंदकर बैठे हुए हैं, किसी को भी चिंता नहीं है कि औंचक निरीक्षण कर इस अराजकता पर लगाम कसी जाए।

सूत्रों की माने तो मैदानी क्षेत्रों के कार्यालयों में स्टाफ की मनमानी बदस्तूर जारी है। खास तौर पर क्लेरिकल स्टाफ की अभी भी कोरोना काल के पहले वाले समय की आदत को बदल नहीं पाया है। लगभग दो साल के कोरोना काल में, लॉक डाउन के समय को छोड़कर, विद्युत कार्यालयों के स्टाफ की मनमर्जी हावी है, जिसके कारण रोजाना सैकड़ों उपभोक्ताओं को अपने कार्य के लिए या तो भटकना पड़ता है, या घंटों स्टाफ का इंतजार करना पड़ता है।

विद्युत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्यालय से 50 कदम दूर विद्युत कॉलोनी में स्थित आरईएस कार्यालय में स्थिति यह है कि कोई भी कर्मचारी 11 बजे से पहले नहीं आता, जबकि नियमित तौर पर विद्युत कार्यालयों के खुलने का समय 10:30 बजे निर्धारित है। वहीं वर्तमान में सरकारी कार्यालयों में फाइव डे वीक होने के कारण कार्यालय में स्टाफ की उपस्थिति का समय 10 बजे निर्धारित किया गया है, लेकिन खुद को प्रबंधन के ऊपर समझने वाला स्टाफ लगातार आदेश की अवहेलना कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि मैदानी अधिकारियों के फील्ड पर रहने के चलते कार्यालयीन स्टाफ अपनी मनमर्जी से ऑफिस आता और जाता है। जब मुख्यालय के करीब स्थित कार्यालय की स्थिति इतनी अराजक है, तो दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कार्यालयों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि विद्युत कार्यालयों का स्टाफ जहां कार्यालय खुलने के समय लगभग एक से डेढ़ घंटे देरी से आता है, वहीं समय से लगभग 1 घंटे पहले चला भी जाता है।