एमपी को अंधेरे की ओर धकेल रही बिजली कंपनी प्रबंधन की हठधर्मिता: कार्मिकों की निर्णायक लड़ाई का आगाज 21 जनवरी से

मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों के नियमित, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन का आगाज शनिवार 21 जनवरी से प्रदेश के 52 जिलों में एक साथ किया जावेगा। बिजली कर्मी हड़ताल के दौरान अतिआवश्यक कार्यों को छोड़कर अन्य कोई कार्य नहीं करेंगे, जिससे उपभोक्ताओं की शिकायतों के निराकरण, फाल्ट का सुधार जैसे काम नहीं होंगे, जिससे प्रदेश में अंधेरा छाने की संभावना बढ़ गई है।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों के कार्मिकों के संयुक्त संगठनों के द्वारा मध्य प्रदेश के 52 जिलों में कार्यरत 45 हजार आउटसोर्स बिजली कर्मी, संविदा एवं नियमित कर्मचारी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर शनिवार 21 जनवरी से अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन में चले जाएंगे। इस दौरान अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़कर बिजली कर्मी कोई काम नहीं करेंगे।

हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली कर्मियों की वर्षों से लंबित मांगों को बार-बार झूठे आश्वासनों के जरिए टाला जा रहा है। झूठे वादों के चलते सरकार और ऊर्जा विभाग की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग चुका है। वर्षों से शोषण का शिकार हो रहे बिजली कर्मी अब किसी प्रकार के झांसे में नहीं आएंगे और अपना अधिकार लेकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनी प्रबंधनों की हठधर्मिता प्रदेश को अंधेरे की ओर धकेल रही है।

संयुक्त संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश मुख्य ऊर्जा सचिव के द्वारा वादा करने के बावजूद अभी तक संगठनों के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। जिसको देखते हुए जबलपुर, भोपाल, इंदौर के मुख्यालय में एवं अन्य सभी जिलों के अधीक्षण अभियंता कार्यालयों के समक्ष 21 जनवरी 2023 से अनिश्चितकालीन कामबंद हड़ताल का आगाज करते हुए धरना दिया जाएगा।

संयुक्त संगठनों के शंभूनाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, अरुण ठाकुर, राहुल मालवीय, शिव राजपूत, शंकर यादव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, अरुण मालवीय, आजाद सकवार, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मेश्राम, विनोद दास, राकेश, रमन रैकवार, पुरुषोत्तम पटेल, सुखदेव झारिया, जगदीश मेहरा, हेमन्त पंचे आदि ने कहा है कि हमारी लड़ाई शोषण के विरुद्ध है और कर्मचारियों की उचित मांगों के लिए मजबूर होकर संयुक्त कर्मचारी संगठनों को आंदोलन करना पड़ रहा है।