Tuesday, June 24, 2025
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MSP पर मूंग की खरीदी नहीं करने की घोषणा से किसानों में रोष व्याप्त, आंदोलन की तैयारी

किसानों की जायद की फसल (ग्रीष्मकालीन फसल) मूंग तथा उड़द की कटाई तथा गहाई का कार्य पूर्ण हो गया है। जिन किसानों ने मटर तथा मक्का की फसल, रबी सीजन में लगाई थी, उन किसानों ने ग्रीष्मकालीन मूंग तथा उड़द की फ़सल  इस आशा के साथ लगाई है कि उनकी उपज विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा खरीद कर ली जाएगी, परन्तु उसे मंडी में समर्थन मूल्य से 2000 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक कम भाव में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

ज्ञात हो कि सरकार ने इस वर्ष मूंग का समर्थन मूल्य 8768 रुपयेतय किया है, जबकि मंडी में भाव औसत भाव लगभग 6200 रुपये है। विगत दिनों कृषि उत्पादन आयुक्त के मूंग न   खरीदने के वक्तव्य से किसान सकते में आ गये हैं और उनमे घबराहट और असंतोष व्याप्त है। वे चिंतित हैं कि उन्हें बहुत घाटा उठाना पड़ेगा।

आयुक्त का यह कथन हास्यास्पद है कि किसानों के द्वारा जहरीली दवाओं के प्रयोग के कारण यह उत्पाद उपभोक्ता के जीवन के लिए घातक होगा, इसलिए सरकार ने इसे न खरीदने का निर्णय लिया है। तो क्या व्यापारियों द्वारा खरीद पर यह उत्पाद उपभोक्ताओ तक नहीं पहुंचेगा और व्यापारियों द्वारा उपभोक्ता तक पहुँचाए जाने पर यह मानव जीवन के लिए घातक नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है?  

बिना जाँच के यह कैसे मान लिया गया कि किसानों ने जहरीली दवाओं का उपयोग किया है। जिन्होंने उययोग किया उसका खामयाजा वे किसान भी भुगते जिन्होंने नहीं किया, क्या यह न्याय संगत होगा? 

पिछले दिनों जबलपुर की पाटन तथा सिहोरा मंडियों सहित महाकौशल की अनेक मंडियों में किसानों को भाव कम मिलने के कारण विरोध प्रदर्शन करने मजबूर होना पड़ा। अब शासन के मूंग खरीद न किये जाने के निर्णय से किसान बहुत दुखी है। उनमे भारी असंतोष व्याप्त है।

उपार्जन नीति व मंडी एक्ट की धारा 36/3 के प्रावधानों के तहत मंडियो में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे किसी भी जिन्स की बोली प्रारम्भ नहीं की जा सकती। इस नियम के सख्ती से पालन का आदेश मध्य प्रदेश के उच्च न्याययालय द्वारा भी दिया गया है, परन्तु इस आदेश की भी अवहेलना की जा रही है। खेद है कि मंडी समितियों द्वारा इस आदेश के परिपालन में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है और न ही कलेक्टर द्वारा कोई कार्यवाही की जा रही है। जबकी हाई कोर्ट ने इस आदेश के परिपालन की जिम्मेदारी प्रदेश के समस्त कलेक्टरों को दी थी। आदेश में यह भी कहा गया था कि कोर्ट के आदेश का पालन न करने से यह कोर्ट की अवहेलना मानी जाएगी।

व्यापरियों द्वारा किसानों से मंडियों में बहुत ही कम भाव पर मूंग खरीदी की जा रही है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति हो रही है, कई किसानों ने तो आत्मदाह तक लिया है।

भारत कृषक समाज, महाकोशल मप्र के अध्यक्ष केके अग्रवाल ने मेल द्वारा भेजे गये पत्र में उक्त बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री से इस एक्ट का परिपालन सुनिश्चित कराने आग्रह किया है। साथ ही आग्रह किया है कि पिछले वर्ष जारी उपार्जन नीति के अनुसार इस वर्ष भी मूंग व उड़द का उपार्जन कराने के शीघ्र निर्देश जारी किये जाएं।

भारत कृषक समाज के जेआर गायकवाड़, सुभाष चंद्रा, रामकिसन पटेल, डॉ. प्रकाश दुबे, रामगोपाल पटेल, प्रमोद मरवाहा, अविनाश राय, अनिल चिले, सीएल शर्मा, रामेश्वर अवस्थी, सुशील जैन, हारनारायण राजपूत, संजय जैन, मदन पटेल, उमेश, रमेश नवेरिया, योगेश पटेल, पंकज सिंघई, किसान सेवा सेना के जितेंद्र देसी, रामदीन पटेल, सुरेश कुर्मी, महेन्द्र कुर्मी, अंकित पटेल, मनीष सोनी, पंचम हल्दकार, मुकेश सिंह, संदीप पटेल आदि ने शासन प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि मूंग खरीद का निर्णय शासन द्वारा शीघ्र लिया जाये अन्यथा किसान धरना-प्रदर्शन व आंदोलन के लिए मजबूर होंगे, जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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