मध्य प्रदेश के विद्युत क्षेत्र में ट्रांसमिशन नेटवर्क (पारेषण प्रणाली) की अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तारीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इसके फलस्वरूप राज्य में वित्तीय वर्ष 2024-25 में पारेषण उपलब्धता (ट्रांसमिशन अवेलेबिलिटी) को ऐतिहासिक रूप से 99.47 प्रतिशत के उच्चतम स्तर तक पहुँचाने में सफलता प्राप्त हुई है।
मध्य प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2024-25 के लिये निर्धारित 98 प्रतिशत लक्ष्य के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष में पारेषण उपलब्धता बढ़कर 99.47 प्रतिशत तक हो गई है। वर्ष 2023-24 में पारेषण उपलब्धता99.42 प्रतिशत के मुकाबले यह उल्लेखनीय सुधार है।
मध्य प्रदेश के लिए गर्व का विषय
मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने इस उपलब्धि के लिये विद्युत कार्मिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह राज्य विद्युत कंपनियों की कार्यकुशलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रदेश के विद्युत क्षेत्र की यह सफलता राज्य के लिए गर्व की बात है, उन्होंने उम्मीद जताई कि यह उपलब्धि न केवल मध्यप्रदेश में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगी, बल्कि उपभोक्ताओं को अधिक स्थिर और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में भी सहायक सिद्ध होगी।
पारेषण उपलब्धता अधिक होने के फायदे
किसी भी ट्रांसमिशन सिस्टम में ट्रांसमिशन अवेलेबिलिटी (पारेषण उपलब्धता) अधिकतम होने से विद्युत आपूर्ति में बाधाएँ कम होती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को निरंतर बिजली मिलती है। इससे औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि होती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है। यह प्रणाली की विश्वसनीयता और दक्षता को भी सुनिश्चित करता है। साथ ही, आपात स्थितियों में शीघ्र बिजली आपूर्ति संभव होती है।
एमपी ट्रांसको के एमडी सुनील तिवारी ने कहा कि “हमारी कंपनी लगातार इस प्रयास में लगी हुई है कि ट्रांसमिशन की उपलब्धता को सर्वोच्च स्तर पर बनाए रखा जाए। ट्रांसमिशन लाइनों के रखरखाव के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग, उपयुक्त रेटिंग वाले पावर ट्रांसफॉर्मरों की तैनाती, और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम का कार्यान्वयन इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, जिससे हम विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित ट्रांसमिशन उपलब्धता लक्ष्यों से भी बेहतर प्रदर्शन कर पा रहे हैं।”