2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.8% की वृद्धि होने का अनुमान, आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाकर 6.25% किया

दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के केंद्रीय बैंक ने नीतिगत रेपो दर को 35 आधार अंक बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने का फैसला किया है। परिणामस्वरूप स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.00 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.50 प्रतिशत पर समायोजित हुई है। आरबीआई का द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य देते हुए गवर्नर डॉ शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने समायोजन को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है, ताकि मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर बनी रहे और विकास को समर्थन दिया जा सके।

मौद्रिक नीति के मूल कारण की व्याख्या करते हुए, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी का विचार था कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर रखने, मुद्रास्फीति निश्चित सीमा के भीतर बनाए रखने; मुख्य मुद्रास्फीति की दृढ़ता को तोड़ने और दूसरे दौर के प्रभावों को रोकने के लिए, सटीक मौद्रिक नीति कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये कार्य, भारतीय अर्थव्यवस्था की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को मजबूत करेंगे।

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है, तीसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी विकास दर 7.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही के लिए 5.9 प्रतिशत अनुमानित है। गवर्नर चाहते हैं कि हम इस बात पर ध्यान दें कि 2022-23 के लिए हमारे विकास अनुमान में इस संशोधन के बाद भी, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहेगा।

मुद्रास्फीति के संबंध में, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति के 2022-23 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। गवर्नर ने निष्कर्षों को संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया, भारत में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि सहनशील बनी हुई है और मुद्रास्फीति के कम होने की उम्मीद है; लेकिन मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई खत्म नहीं हुई है।

भारतीय रुपये की कहानी, सहनीयता और स्थिरता गवर्नर ने इस वर्ष अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने की बात कही, जिससे भारतीय रुपये (आईएनआर) सहित सभी प्रमुख वैश्विक मुद्राओं में बड़े पैमाने पर मूल्यह्रास हुआ। उन्होंने सूचित किया कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के इस प्रकरण के माध्यम से, आईएनआर अन्य मुद्राओं की तुलना में सबसे कम प्रभावित रही है। वास्तव में, आईएनआर, कुछ को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुआ है। गवर्नर ने उल्लेख किया कि आईएनआर की कहानी, भारत की सहनीयता और स्थिरता की कहानी में से एक रही है।

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि विदेशी मुद्रा भंडार बेहतर स्थिति में है और इसमें वृद्धि भी हुई है। यह 21 अक्टूबर, 2022 के 524.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2 दिसंबर, 2022 को 561.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का बाहरी ऋण अनुपात अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम है।

गवर्नर ने चार अतिरिक्त उपायों की घोषणा की:

बैंकों को निवेश प्रबंधन में अतिरिक्त सुविधा मिली

बैंकों को 1 सितंबर, 2020 और 31 मार्च, 2022 के बीच प्राप्त वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) पात्र प्रतिभूतियों के लिए, 31 मार्च, 2023 तक शुद्ध मांग और समय देनदारियों (एनडीटीएल) की 22 प्रतिशत की परिपक्वता (एचटीएम) सीमा की विशेष छूट दी गई थी। अब 23 प्रतिशत की बढ़ी हुई एचटीएम सीमा को 31 मार्च, 2024 तक विस्तार देने का निर्णय लिया गया है। बैंकों को अब 1 सितंबर, 2020 से 31 मार्च, 2024 के बीच अधिग्रहित प्रतिभूतियों को बढ़ी हुई एचटीएम सीमा में शामिल करने की अनुमति होगी। इससे बैंकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो के प्रबंधन में और सुविधा मिलेगी।

यूपीआई और मजबूत हुआ

सिंगल-ब्लॉक-एंड-मल्टीपल-डेबिट कार्यक्षमता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा। यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि बनाये रखने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, डेबिट किया जा सकेगा। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेन सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में आसानी होगी।

भारत बिल भुगतान प्रणाली का दायरा व्यापक हुआ

बीबीपीएस का दायरा बढ़ाया जा रहा है, ताकि भुगतान और संग्रह की सभी श्रेणियों, आवर्ती और गैर-आवर्ती दोनों तथा सभी श्रेणियों के बने बिलों (व्यवसायों और व्यक्तियों) को शामिल किया जा सके। यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव से लाभ उठा सकते हैं, जिससे उन्हें धन तक तेजी से पहुंच प्राप्त होगी और उनकी दक्षता में सुधार होगा।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में सोने की बचाव-व्यवस्था

भारत में निवासी संस्थाओं को वर्तमान में विदेशी बाजारों में सोने की कीमत के जोखिम के प्रति अपने जोखिम के बचाव की अनुमति नहीं है। इन संस्थाओं को अपने सोने के जोखिमों के मूल्य जोखिम को कम करने के लिए अधिक सुविधाएँ प्रदान करने की दृष्टि से, निवासी संस्थाओं को अब मान्यता प्राप्त आधार पर अपने सोने की कीमत के जोखिम से बचाव करने की अनुमति दी जाएगी। इस उपाय से सोने के आयातकों-निर्यातकों को लाभ होगा जैसे आभूषण निर्माता और उद्योग, जो सोने का उपयोग, मध्यवर्ती या कच्चे माल के रूप में करते हैं।

आरबीआई गवर्नर ने हमारे देश की दीर्घकालिक क्षमता, विशेष रूप से हरित ऊर्जा स्रोत, आपूर्ति श्रृंखला और लोजिस्टिक्स की पुन: संरचना, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय सेवा और नवाचार तकनीक को बेहतर बनाने के प्रति काम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि ये क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अपार अवसर प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता, हमें अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने का ऐतिहासिक अवसर प्रदान करती है। हमारे अध्यक्षता की थीम है- “वसुधैव कुटुम्बकम”, जो सार्वभौमिक कल्याण के लिए वैश्विक सहयोग से जुड़ी हमारी दृष्टि को दर्शाता है। गवर्नर ने कहा कि हमें आशावादी बने रहना चाहिए और गांधीजी के शब्दों से प्रेरणा लेनी चाहिए: “कोई यह न सोचें कि यह असंभव है, क्योंकि यह कठिन है। यह सर्वोच्च लक्ष्य है और इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इसे प्राप्त करने के लिए उच्चतम प्रयास आवश्यक हैं।”