रिश्ते बदलते देखा है,
इंसान बदलते देखा है,
पल भर में मंज़र और
जहान बदलते देखा है
लालच की लटकती पोटली बड़ी है,
हवा में लटका दो,
पीछे भागते इंसान देखा है
गिद्धों की मानिंद इंसान को
शिकार लपक के,
आसमान छूते देखा है
ये मौका ये मौकापरस्ती,
बस पल भर की है
ओहदा बदलते ही
इंसान बदलते देखा है
-शिल्पा दुबे