हार नहीं मानी हमने
दृढ़ संकल्प ठानी हमने
जब से दुनिया में आये
भुजाओं पर था विश्वास
धरती चीर गंगा बहाये
पहाड़ तोड़ रास्ता बनाये
मुश्किल वक्त में भी
हार नहीं मानी हमने
सदियों से सीखा हमने
संघर्ष पथ पर आगे बढ़ना
रुके नहीं थके नहीं कदम
नित नई दिशा पर चलते गये
हमें कर्म पर है विश्वास
हमारी कंधों पर है
दुनिया का भार
हौसला बुलंद कर चलना सीखा
मंजिल अभी बाकी है
चलना है बहुत दूर
डगर पर मिले फूल या कांटे
आये प्रलय या तूफान
आएगा एक दिन नया सबेरा
ताजे फूलों की मुस्कान सा
विश्वास के दीप जलाये हमने
हाँ हार नहीं मानी हमने
-डॉ भवानी प्रधान
रायपुर, छत्तीसगढ़