घर की लाइटों में क्या रखा है?
आओ मिलकर दिल की बत्तियाँ जलाते हैं
हम सब में उसका ही नूर बसता है,
तो आओ मिलकर हिंदू-मुसलमान, सिख
और ईसाई का भेद मिटाते हैं
लूटपाट, मारकाट और आगजनी बहुत हो चुकी,
अब नफ़रत का दिनों से नामोनिशान मिटाते हैं
इस बार घर की नहीं और ना ही मोहल्ले की,
आओ मिलकर दिल की बत्तियाँ जलाते हैं
-निशांत खुरपाल ‘काबिल’
अध्यापक,
कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल, पठानकोट