मजदूर कौन है- निर्भय

सवाल सरल है, जवाब कठिन
करता मेहनत रात दिन
मेहनताना मिलता हो जिसे,
या बेपरवाह काम करता रहे
किसे कहेंगें जानकर भी सब मौन है
आखिर मजदूर कौन है?

बाँधकर बोरिया-बिस्तर व सूटकेस,
चल देता कमाने देश-परदेस
या गाँव घर में रहकर ही करता काम,
बिना लिए किसी का नाम
सुविधा देने के नाम पर सब मौन है-
क्या आपको पता है- मजदूर कौन है?

ठाठ-बाठ से रहने वाले,
टाईम पर दफ्तर जाने वाले
क्या मजदूर नहीं हैं वो,
क्या सिर्फ वही मजदूर है
जिसका तन पसीने से तर-बतर हो
नहीं सब मजदूर ही हैं, इस धरती पर
बस कोई काम से काम रखता है,
कोई अपनी परवाह किए बिना सब करता है
कोई लिबास में, कोई वर्दी में,
कोई कड़ी धूप में, कोई ठंडी सर्दी में
भूलकर अपना-पराया
खड़ा एक पैर पर रहता है

हाँ, कुछ है, जो समय-समय पर
मजदूरी के नाम पर कुछ और माँगते हैं,
मिल जाए तो शान-शौकत दिखाते हैं
और न मिले तो मजदूर-मजदूर चिल्लाते हैं

-निर्भय