हिन्दी भाषा को बचाओ: आशा

आशा
सहायक प्राध्यापिका
लुधियाना, पंजाब

हिंदुस्तानियों हिन्दी को क्यूँ नहीं बचा रहे हो,
अपने देश की भाषा को क्यूँ नहीं अपना रहे हो।
क्यूँ भूल रहे हो तुम अपनी संस्कृति,
ये मत भूलना… इसी ने दी थी तुम्हें आकृति।

देश क्या, विदेश में भी हिंदी ही है बोली जाती,
क्यूँ बुझा रहे हो तुम अपने जीवन के आशा की बाती।
माना जमाना बदल रहा है, पश्चिमी हो रहा है,
पर ये मत भूलो नई शिक्षा नीति के तहत
हिन्दी भाषा का भी डिजिटलीकरण हो रहा है।

मैं ये नहीं कहती किसी भाषा को मत अपनाओ,
पर तुम अपनी भाषा को तो न भूल जाओ।
हिन्दुस्तान हमारा, हिन्दी भाषा हमारी,
फिर कैसी हिचकिचाहट, हिन्दी अपनाओ, गर्व के साथ
आगे बढ़ते जाओ, तुम बिना किसी रुकावट।

‘मैं ‘ नई पीढ़ी की धारा संग संदेश दिलाने आई,
अपने भारत को आगे बढ़ाने की इक तरकीब लेकर आई हूँ।
हिन्दी भाषा ही नहीं है यह जुड़ी हमारी संवेदना के संग,
भारतवासियों जाग उठो नई चेतना के संग।