मैं कवि नहीं हूँ फिर भी,
कविता लिख रहा हूँ
दिल की आवाज को मैं,
आपके सामने रख रहा हूँ
सोचता हूं कि कोई मुझे कवि बना दे
कविता लिखने का सलीका बता दे
मैंने कविता को सुना तो है
उसकी सार्थकता को गुना तो है
फिर भी मैं कवि नहीं हूँ
मुझे पता नहीं है कि लोग,
कविता क्यों लिखते हैं
रात में जाग जाग कर,
नींद को क्यों करते हैं
सुन-सुनकर कल्पना कर रहा हूँ
कविता की कुछ पंक्तियां लिख रहा हूँ
फिर भी मैं कवि नहीं हूँ
कह रही थी माँ,
कुछ लिखना जरूर
जिंदगी में तुम्हारी,
आ जाएगा सुरूर
पता नहीं कि मैं क्या लिख रहा हूँ
लेकिन कविता लिखने की,
कोशिश अवश्य कर रहा हूँ
फिर भी मैं कवि नहीं हूँ
-रामसेवक वर्मा
पुखरायां, कानपुर देहात,
उत्तर प्रदेश, भारत