प्यार का सार- अनिल कुमार मिश्र

इन राहों की बात ना पूछो
गलबहियां डाले सुख दुःख दोनों
कदम कदम पर मिलकर हँसकर
हार जीत पर हँसते दोनों

ख़ुशी निराली, ह्रदय निराला
मन बेचारा भोला भाला
समझ सका ना कोई जग को
कौन यहां किसका रखवाला?

भ्रम है, मिथ्या ही यह जग है
दिल की सारी बात अजब है
सारी चीज़ें बिक जाती हैं
हाय यहाँ ईमान गज़ब है

कसम खिला लो जिसको जितना
प्रेम नहीं, उद्देश्य छिपा है
नेह स्नेह की डोरी कैसी
कैसे प्यार का सार छिपा है

-अनिल कुमार मिश्र ‘आञ्जनेय’
गाँधी नगर पूरब,
हज़ारीबाग़, झारखंड
मोबाइल- 7858958537