बेटियां बोझ नहीं होती- दीपा सिंह

बेटियां माँ-बाप पे बोझ नहीं होती है,
पर फिर भी माँ-बाप उन्हें बोझ समझते हैं
कौन कहता है बेटियां माँ-बाप के उपर बोझ होती हैं,
वह तो ईश्वर का भेजा हुआ अनमोल फरिश्ता होती हैं
और ईश्वर ने उन्हें इस तरह बनाया हुआ है,
कि वह हर मुश्किल का सामना हँसते-हँसते करती हैं
जो लोग अपनी बेटियों की कद्र नहीं करते हैं,
वो क्या किसी दूसरी बेटी की कद्र करेंगे
बेटियां वह किमती धन है, जिन्हें बेचा नहीं जाता है
वह किमती अनमोल हिरा है ,
जिन्हें खरीदा नहीं जाता है
वह फिर भला कैसे,
अपने माँ-बाप के लिए बोझ होती हैं
वह क्यूं इतना अन्याय और अत्याचार सहन‌ करती हैं
जो लोग बेटियों की इज्ज़त नहीं करेंगे,
उनकी इज्जत स्वयं ईश्वर नहीं करेंगे
जो लोग अपनी बेटियों को बोझ नहीं समझेंगे,
वो लोग बहुत प्रशंसा के पात्र हैं
अगर हम उनका सम्मान करेंगे,
तो स्वयं ईश्वर हमारा सम्मान करेंगे
बेटियों को मत मारो, इनका सम्मान करो
हर घर में बेटियां नहीं होती है,
ये भी किस्मत वालों को मिलती हैं
जो मां बाप अपनी नहीं,
दूसरों की बेटियों पर जान देते हैं
वह माँ-बाप धन्य हैं
बेटियां नसीब‌ वालों को ही मिलती हैं,
जिस घर में बेटियों का जन्म होता है,
वह घर नहीं होता है, वह तो एक स्वर्ग होता हैं
जो माँ-बाप अपनी बेटियों को,
अपने बेटे से कम नहीं समझते
वो माँ-बाप बहुत खुशनसीब हैं
जिस घर में बेटियों का जन्म होता है,
वह घर बहुत भाग्यशाली और खुशहाल होता है
क्योंकि बेटियां पालने का हक़ राजा जनक को ही था,
ना की राजा दशरथ को
बेटियां भी बेटों से कुछ कम नहीं है,
यह तो हर क्षेत्र में लड़कों से आगे हैं
इसलिए बेटियों को कभी भी बोझ मत समझना
फिर क्यूं बेटियां आग में जलती है,
और क्यूं अत्याचार, अहिंसा  सहन करती हैं
वह माँ बहुत खुशनसीब होती हैं,
जिस घर में बेटियों का जन्म होता है
वह बाप बहुत भाग्यशाली होता है,
जिसे परी पालने का अधिकार मिलता है

-दीपा सिंह