प्रतीक्षा: गौरीशंकर वैश्य

आह! प्रतीक्षा खलती है
वाह! प्रतीक्षा फलती है

स्थिति और भाव अनुसार
मिलता दुःख-आनंद अपार
बहुत देर से खड़े सड़क पर
नहीं अभी तक वाहन आया

लगे डॉक्टर हित कतार में
दो घंटे से अधिक हो गए
जाने कब आएगा निज क्रम
कभी स्वप्न क्या पूरा होगा

नया अतिथि आने वाला है
माँ-पत्नी कितनी उत्सुक हैं
जाने कब हो पूरी इच्छा
आतुरता की पीड़ा लंबी

गुस्सा-कुंठा से क्यों रोएँ
धैर्य अभी तो रखना होगा
आशावाद थाम कर चलना
केवल एक उपाय यही है

सब कुछ आएगा पटरी पर
करें प्रतीक्षा, सोच सही है
आशा और प्रतीक्षा जीवन
कभी न रोकें, कभी न छोड़ें

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117, आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
संपर्क- 09956087585