मात मुश्किलों को दे दो तुम- स्नेहलता नीर

विकट पंथ है रोके तूफ़ाँ, जाना तुमको पार।
मात मुश्किलों को दे दो तुम, नहीं मानना हार।

चिंतित चित मत करो बावरे, मन में धर लो धीर।
अंतस में भर जोश, वीर बन, दो हर बाधा चीर।
लिख लो अपने नाम सफलता, देखे यह संसार।
मात मुश्किलों को दे दो तुम, नहीं मानना हार।

अँधियारे में तीर चला कर, मत कर देना भूल।
जीवन की राहें अनजानी पग-पग बिछे बबूल।
विमल बुद्धि अविचल विवेक से, होना है निस्तार।
मात मुश्किलों को दे दो तुम, नहीं मानना हार।

दृढ़ संकल्प, दिशा चुन निश्चित, सतत चलो तुम राह।
संघर्षो से जूझ निरंतर, पूरी होंगी चाह।
विजय मिलेगी जब जीवन में, होगी जय जयकार।
मात मुश्किलों को दे दो तुम, नहीं मानना हार।

सच्चाई को बना संगिनी, सबसे रखना नेह।
सम्बन्धों में सोम-सरिस रस, बरसेगा नित मेह।
सब कर्तव्य निभाना, पावन, रखना हृदय-विचार।
मात मुश्किलों को दे दो तुम, नहीं मानना हार।

– स्नेहलता नीर