अधिकारों का सम्मान रहे: जयलाल कलेत

जब तक धरती और आसमान रहे
तब तक भारत का ये संविधान रहे

जन-जन की समानताओं का ध्यान रहे
सबके मौलिक अधिकारों का सम्मान रहे

जब तक आसमान में सूरज चांद रहे
तब तक भारत का ये संविधान रहे

विश्व भर में संविधान का आन बान रहे
सबको न्याय मिलने का ये विधान रहे

भारतवर्ष के गणतंत्र का अभिमान रहे
हर हिन्दुस्तानी के दिल में सम्मान रहे

चारों दिशाओं में गणतंत्र का बखान रहे
जग में तिरंगे का अलग पहचान रहे

भीमराव अंबेडकर जी के लेखनी का मान रहे
युगों युगों तक अपनी ये संविधान रहे

पीड़ितों और दलितों का आत्मसम्मान रहे
भारत के संविधान का स्वाभिमान रहे

दिलों में याद हरदम, वीरों का  बलिदान रहे
‘जय’ का हर शहिदों को ये सलाम रहे

जयलाल कलेत
रायगढ़, छत्तीसगढ़