नवरात्रि और विज्ञान: हर भारतीय त्यौहार का है वैज्ञानिक महत्व

पं अनिल कुमार पाण्डेय
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया
सागर, मध्य प्रदेश- 470004
व्हाट्सएप- 8959594400

हमारे पुराने ऋषि-मुनियों ने हर चीज को बड़ी सोच समझ कर बनाया था हमारे जो भी त्यौहार हैं, उनके पीछे एक वैज्ञानिक महत्व भी है नवरात्र त्यौहार के पीछे भी वैज्ञानिक महत्व है जिसको मैं आपको आगे बताऊंगा।

15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो रहा है और इन नौ दिनों में निम्नानुसार देवियों की पूजा की जावेगी-

15 अक्टूबर- घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
16 अक्टूबर दूसरे दिन- मां ब्रह्मचारिणी
17 अक्टूबर तीसरे दिन- मां चंद्रघंटा
18 अक्टूबर चौथे दिन- मां कूष्मांडा
19 अक्टूबर पांचवे दिन- मां स्कंदमाता
20 अक्टूबर छठवें दिन- मां कात्यायनी
21 अक्टूबर सातवें दिन- मां कालरात्रि
22 अक्टूबर आठवें दिन- मां महागौरी
23 अक्टूबर नवें दिन- मां सिद्धिदात्री

आइये अब हम इसके वैज्ञानिक पक्ष पर चर्चा करते हैं

नवरात्र के वैज्ञानिक पक्ष की तरफ अगर हम ध्यान दें तो हम पाते हैं कि दोनों प्रगट नवरात्रों के बीच में 6 माह का अंतर है। चैत्र नवरात्रि के बाद गर्मी का मौसम आ जाता है तथा शारदीय नवरात्रि के बाद ठंड का मौसम आता है। हमारे महर्षियों ने शरीर को गर्मी से ठंडी तथा ठंडी से गर्मी की तरफ जाने के लिए तैयार करने हेतु इन नवरात्रियों की प्रतिष्ठा की है।

अर्थात में व्यक्ति पूरे नियम कानून के साथ अल्पाहार एवं शाकाहार या पूर्णतया निराहार व्रत रखता है। इसके कारण शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है। अर्थात शरीर के जो भी विष तत्व है वे बाहर हो जाते हैं। पाचन तंत्र को आराम मिलता है। लगातार 9 दिन के आत्म अनुशासन की पद्धति के कारण मानसिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाती है। जिससे डिप्रेशन माइग्रेन हृदय रोग आदि बिमारियों के होने की संभावना कम हो जाती है।

वर्ष के बीच में जो हम एक-एक दिन का व्रत करते हैं, उससे मानसिक स्थिति मजबूत नहीं हो पाती है केवल पाचन तंत्र पर ही उसका प्रभाव पड़ता।

नवरात्रि में दिन से ज्यादा रात्रि का महत्व है

नवरात्रि में दिन से ज्यादा रात्रि के महत्व होने का विशेष कारण है। नवरात्रि में हम व्रत संयम नियम यज्ञ भजन पूजन योग साधना बीज मंत्रों का जाप कर सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। हम देखते हैं अगर हम दिन में आवाज दें तो वह कम दूर तक जाएगी परंतु रात्रि में वही आवाज दूर तक जाती है। दिन में सूर्य की किरणें आवाज की तरंगों को और रेडियो तरंगों को आगे बढ़ने से रोकती है। अगर हम किसी रेडियो से दिन में गाने सुने सुन तो वह रात्रि में उसी रोडियो से उसी स्टेशन के गाने से कम अच्छा सुनाई देगा। दिन में वातावरण में कोलाहल रहता है, जबकि रात में शांति रहती है। इसी शांत वातावरण के कारण नवरात्रि में सिद्धि हेतु रात का ज्यादा महत्व दिया गया है।

हमारे शरीर में 9 द्वार हैं। दो आंख, दो कान, दो नाक, एक मुख, एक मलद्वार एक एक मूत्र द्वार। नौ द्वारों को सिद्ध करने हेतु पवित्र करने हेतु नवरात्रि का पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि में किए गए पूजन अर्चन तप यज्ञ हवन आदि से यह नवो द्वार शुद्ध होते हैं।

नवरात्रि हमें यह भी संदेश देती है की सफल होने के लिए सरलता के साथ ताकत भी आवश्यक है, जैसे माता के पास कमल के साथ चक्र एवं त्रिशूल आदि हथियार भी है। समाज को जिस प्रकार कमलासन की आवश्यकता है उसी प्रकार सिंह अर्थात ताकत, वृषभ अर्थात गोवंश, गधा अर्थात बोझा ढोने वाली ताकत तथा पैदल अर्थात स्वयं की ताकत सभी कुछ आवश्यक है।