मुक्तक: मनोहर मधुकर

मनोहर सिंह चौहान मधुकर
जावरा, जिला रतलाम, मध्य प्रदेश

नारी

नारी है तो घर की शान है।
नारी से ही सृजन का गान है।।
नारी ईश का एक उपहार है,
नारी से अपना वर्तमान है।।

बापुसा

मेरी आन बान शान थे बापूसा।
जग में मेरी पहचान थे बापूसा।।
उनके सपनों का में अंश प्रतिफल,
मेरे छत्र ऊंची उड़ान थे बापुसा।।

मेरे सनम

सनम खास पहले भी थे,
खास वो तो आज भी है।
उसके होने से मैं हूं,
मुझे उस पर नाज भी है।।